श्री गुरु नानक देव जी की जयंती: अंधकार में ज्ञान का प्रकाश
गुरु नानक देव जी के उपदेशों का उद्देश्य लोगों को अज्ञानता और अंधकार से मुक्ति दिलाना और उन्हें सच्चे ज्ञान की ओर ले जाना था। उन्होंने लोगों को बताया कि ईश्वर सर्वव्यापी है और हर जगह मौजूद है। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य ईश्वर के अंश हैं और इसलिए उनमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने लोगों को सिखाया कि उन्हें अहंकार, लोभ और मोह से दूर रहकर भक्तिमय जीवन जीना चाहिए।
गुरु नानक देव जी की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। सिख धर्म के अनुयायी इस दिन गुरुद्वारों में जाकर गुरु नानक देव जी के उपदेशों को सुनते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
श्री गुरु नानक देव जी के उपदेशों के कुछ प्रमुख बिंदु:
*ईश्वर एक है और सर्वव्यापी है।
* सभी मनुष्य ईश्वर के अंश हैं और इसलिए उनमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
* हमें अहंकार, लोभ और मोह से दूर रहकर भक्तिमय जीवन जीना चाहिए।
* हमें अहिंसा का पालन करना चाहिए और सभी प्राणियों के साथ दया और करुणा से पेश आना चाहिए।
* हमें समाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ना चाहिए और एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
श्री गुरु नानक देव जी की जयंती: अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर एक यात्रा
सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी, एक महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उनके जीवन और उपदेशों ने मानवता के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी जयंती, जो कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन मनाई जाती है, पूरे विश्व में सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 नवंबर, 1469 को तलवंडी गांव में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। अपने बचपन से ही, उन्होंने आध्यात्मिकता और ज्ञान की खोज में गहरी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने विभिन्न धर्मों के संतों और विद्वानों से मुलाकात की और उनकी शिक्षाओं का अध्ययन किया।
गुरु नानक देव जी ने लोगों को सिखाया कि उन्हें अहंकार, लोभ और मोह से दूर रहकर एक सरल और सच्चा जीवन जीना चाहिए। उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें अहिंसा का पालन करना चाहिए और सभी प्राणियों के साथ दया और करुणा से पेश आना चाहिए। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे कि जातिवाद, छुआछूत और महिलाओं के साथ भेदभाव के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।
गुरु नानक देव जी का जीवन और उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उनके शब्दों में हमें ज्ञान, समानता, प्रेम और करुणा का मार्ग मिलता है। उनकी शिक्षाओं का पालन करके हम एक बेहतर समाज और एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।
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